At the age of twenty, only some youngsters have such a clarity of thought and sensitive understanding of life. Darshan is one of them. Many many wishes to him who will be a great poet one day! sharing one of his poems: एक एक है क्षण कीमती जिंदगी का बता आखिर में, बुझता कौन नहीं जब कूद पड़ा है तो पूरा दम लगा जंग है ये, यहाँ झुझता कौन नही वक़्त है ये जब तू एक हीरा सा सिमट जा घिसते कोयले के अल्फाज सुनता यहाँ कोई नही हाथ तीर कमान लिए कूदे तो सब हैं यहां बिना अर्जुन हुए तीरंदाज जीतता कोई नही तपा खुद को दिन रात, निकल आ स्वर्ण सा जब तक पहचान न हो पूछता यहाँ कोई नही कर खुद को बुलंद इतना, तू चले तो तूफ़ान उठे जब तक तू तूफान न उठे पूछता यहाँ....... You can read him more at http://singh1789.blogspot.com/?m=1